Kamika Ekadashi 2024: 31 जुलाई को कामिका एकादशी, जानिए पूजा का सही समय, पूजाविधि, जिस से सफल होगा व्रत, और पूरी होंगी मनोकामनाएं

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Kamika Ekadashi 2024

Kamika Ekadashi 2024: कामिका एकादशी 31 जुलाई, बुधवार यानि कल है। कामिका एकादशी श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन मनाई जाती है। कामिका एकादशी उत्तर भारतीय हिंदू कैलेंडर के अनुसार ‘श्रावण’ महीने के कृष्ण पक्ष (घटते चंद्रमा) के 11वें दिन पड़ने वाली महत्वपूर्ण एकादशी व्रतों में से एक है। कामिका एकादशी भगवान विष्णु की पूजा के लिए सबसे अच्छा समय है। इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को पापों और समस्याओं से मुक्ति मिलती है। एकादशी सभी समस्याओं को खत्म करती है और सभी मनोकामनाओं को पूरा करती है। ऐसा माना जाता है कि इस एकादशी की कथा भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर को सुनाई थी। इससे पहले, यह मुनि वशिष्ठ ने राजा दिलीप को सुनाई थी, जिन्होंने मोक्ष प्राप्त किया था।

तिथि और समय (Kamika Ekadashi 2024 Date and Time)

एकादशी तिथि प्रारंभ  : 30 जुलाई, शाम 4:45 बजे।

एकादशी तिथि समाप्त: 31 जुलाई, दोपहर 3:56 बजे।

पराना समय (व्रत तोड़ने का समय) :1 अगस्त, सुबह 05:23 बजे से 07:59 बजे तक

द्वादशी समाप्ति समय :1 अगस्त, दोपहर 03:28 बजे

कामिका एकादशी कथा (Kamika Ekadashi 2024 vrat katha)

प्राचीन काल में एक गांव में एक जमींदार रहता था। एक बार इस जमींदार का एक ब्राह्मण से झगड़ा हो गया और गुस्से में उसने ब्राह्मण की हत्या कर दी। जमींदार ब्राह्मण के दाह संस्कार में शामिल होकर पश्चाताप करना चाहता था, लेकिन उसे इसकी अनुमति नहीं मिली। इसलिए उसे ब्राह्मण की हत्या का श्राप लगा। जमींदार ने एक संत से पूछा कि क्या वह पाप से मुक्ति पा सकता है। संत ने उसे कामिका एकादशी का व्रत रखने की सलाह दी। जमींदार ने संत के बताए अनुसार ही व्रत रखा। रात में जमींदार भगवान की मूर्ति के पास सो रहा था। भगवान विष्णु ने उसके सपने में दर्शन दिए और उसे उसके पापों से मुक्त कर दिया। अंत में भगवान ने उसे क्षमा कर दिया।

कामिका एकादशी पूजा (Kamika Ekadashi 2024 Puja)

एकादशी के दिन व्यक्ति को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और उसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। व्यक्ति को पूरे दिन जल का सेवन नहीं करना चाहिए और भगवान विष्णु की पूजा करते रहना चाहिए। भगवान विष्णु को पंचामृत, फूल, फल, दूध और तिल भी अर्पित करना चाहिए। कामिका एकादशी के दिन ब्राह्मण को भोजन कराना और उसे कुछ धन देना बहुत महत्वपूर्ण है। इस व्रत को करने वाले व्यक्ति को जो भी चाहिए वह प्राप्त होता है।