रात 11 बजे की एनर्जी और सुबह की थकान: Sleep Disorder का आज की पीढ़ी पर असर!

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Sleep Disorder

आजकल की जनरेशन को रात के 11 बजे जागने में मज़ा आता है, लेकिन सुबह उठने में आलस क्यों? ये सवाल बड़ा दिलचस्प है, और इसके पीछे कई वजहें हैं। अगर आप भी रात को देर तक जागते हैं और सुबह आँखें खोलने में परेशानी होती है, तो हो सकता है कि आप sleep disorder के शिकार हों। ये कोई छोटी-मोटी बात नहीं है; आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में नींद की कमी एक गंभीर समस्या बन चुकी है। 

शरीर की घड़ी और sleep disorder

हमारे शरीर में एक प्राकृतिक घड़ी होती है, जिसे वैज्ञानिक “सर्कैडियन रिदम” कहते हैं। आसान शब्दों में, ये वो सिस्टम है जो हमारे शरीर को बताता है कि कब सोना है और कब जागना है। ये घड़ी सूरज की रोशनी, हमारे खानपान, और रोज़मर्रा की आदतों से प्रभावित होती है। लेकिन आज की पीढ़ी, खासकर टीनएजर्स और युवाओं में, यह घड़ी अक्सर गड़बड़ा जाती है, जिससे sleep disorder जैसी समस्याएँ पैदा होती हैं।

खासकर टीनएज में, हमारे दिमाग में मेलाटोनिन नाम का हॉर्मोन देर रात को बनना शुरू होता है। ये हॉर्मोन नींद लाने में मदद करता है। लेकिन अगर आप रात को 11 बजे या उससे भी देर तक एकदम फ्रेश और एक्टिव फील करते हैं, तो ये आपके शरीर की उस देर रात वाली सेटिंग की वजह से है। वैज्ञानिक इसे “डिलेड स्लीप फेज़ सिंड्रोम” (एक तरह का sleep disorder) कहते हैं।

इस उम्र में हमारा शरीर स्वाभाविक रूप से रात को जागने और सुबह देर तक सोने के लिए प्रोग्राम्ड हो जाता है। उदाहरण के लिए, अगर आप रात को 1 बजे सोते हैं और सुबह 9 बजे तक सोते रहते हैं, तो ये आपके सर्कैडियन रिदम का असर हो सकता है। लेकिन अगर ये आदत लंबे समय तक चलती है, तो ये sleep disorder में बदल सकती है, जिससे आपकी सेहत पर बुरा असर पड़ता है।

स्क्रीन का जादू और sleep disorder

आजकल की ज़िंदगी में स्क्रीन्स—फोन, लैपटॉप, टीवी, और टैबलेट—हमारे सबसे बड़े साथी बन गए हैं। रात को जब सब कुछ शांत हो जाता है, तब ये स्क्रीन्स हमें बिजी रखती हैं। लेकिन इनका एक बड़ा साइड इफेक्ट है। इनसे निकलने वाली नीली रोशनी (blue light) हमारे दिमाग को चकमा देती है। ये रोशनी हमारे दिमाग को दिन का समय समझा देती है, जिससे मेलाटोनिन का बनना रुक जाता है। नतीजा? नींद आने में देर हो जाती है, और ये sleep disorder का एक बड़ा कारण बनता है।

उदाहरण के लिए, अगर आप रात को 2-3 घंटे तक इंस्टाग्राम स्क्रॉल करते हैं, यूट्यूब वीडियो देखते हैं, या PUBG जैसे गेम खेलते हैं, तो नीली रोशनी आपके दिमाग को कहती है, “अरे, अभी तो दिन है, सोने की क्या जल्दी है!” स्टडीज़ बताती हैं कि अगर आप रात को 2-3 घंटे स्क्रीन देखते हैं, तो आपकी नींद 1-2 घंटे देर से आ सकती है। इससे न केवल आपकी नींद की क्वालिटी खराब होती है, बल्कि सुबह आप थके-थके और आलसी महसूस करते हैं।

इस समस्या से बचने के लिए, रात को सोने से पहले स्क्रीन टाइम कम करना ज़रूरी है।

ज़माने का असर और sleep disorder

आज का ज़माना भी रात को जागने की आदत को बढ़ावा देता है। पहले लोग सूरज के साथ उठते और ढलते ही सो जाते थे। लेकिन अब? रात 11 बजे से तो ज़िंदगी शुरू होती है! सोशल मीडिया, नेटफ्लिक्स, ऑनलाइन गेम्स, और दोस्तों के साथ चैटिंग—ये सब रात को और मज़ेदार लगता है। आज की पीढ़ी को देर रात तक जागना कूल लगता है। कई बार दोस्तों के साथ ग्रुप चैट में बातें करते-करते समय का पता ही नहीं चलता। अगर आप किसी ऐसे दोस्त से बात कर रहे हैं जो किसी दूसरी टाइम ज़ोन में है, तो रात के 12 बजे भी दिन जैसा लगता है।

इसके अलावा, आजकल के युवा फ्रीलांसिंग, रात को पढ़ाई, या अपने पसंदीदा शो देखने में व्यस्त रहते हैं। ये सारी चीज़ें मिलकर रात को जागने की आदत डाल देती हैं, जो धीरे-धीरे sleep disorder का रूप ले सकती है। उदाहरण के लिए, अगर आप रात को नेटफ्लिक्स पर कोई सीरीज़ देखते हैं और एक के बाद एक एपिसोड चलाते रहते हैं, तो आपका दिमाग इतना एक्टिव हो जाता है कि नींद आना मुश्किल हो जाता है।

पढ़ाई और काम का दबाव

आजकल की लाइफ में पढ़ाई और काम का शेड्यूल भी sleep disorder का बड़ा कारण है। मान लो, आप कॉलेज स्टूडेंट हैं। दिन में क्लास, असाइनमेंट, और प्रोजेक्ट्स के चक्कर में टाइम ही नहीं मिलता। तो रात को, जब घर में सब शांत होता है, तब पढ़ाई करने का मन करता है। कई लोग रात को 11-12 बजे बैठकर नोट्स बनाते हैं या एग्जाम की तैयारी करते हैं। यही हाल फ्रीलांसर्स या रात को ऑफिस का काम निपटाने वालों का है।

ये सब करने के बाद नींद देर से आती है, और सुबह अलार्म बजने पर आँखें खुलने का नाम नहीं लेतीं। शरीर को पूरी नींद न मिलने से सुबह आलस और थकान महसूस होती है। अगर ये रूटीन लंबे समय तक चलता है, तो ये sleep disorder में बदल सकता है, जिसका असर आपकी प्रोडक्टिविटी और मेंटल हेल्थ पर पड़ता है।

तनाव और sleep disorder

आज की जनरेशन में तनाव और चिंता भी sleep disorder का बड़ा कारण हैं। पढ़ाई का प्रेशर, नौकरी की टेंशन, रिश्तों की उलझनें, या भविष्य का डर—ये सब रात को दिमाग में घूमते रहते हैं। जब आप बिस्तर पर लेटते हैं, तो दिमाग कहता है, “अरे, वो असाइनमेंट पूरा हुआ? वो इंटरव्यू कैसा जाएगा?” इन ख्यालों की वजह से नींद नहीं आती। और जब नींद टूट-टूट कर आती है या कम समय के लिए आती है, तो सुबह आप थके-थके से उठते हैं।

स्टडीज़ के मुताबिक, 60-70% युवा रात को सोने से पहले ओवरथिंकिंग करते हैं, जिससे उनकी नींद खराब होती है। ये sleep disorder का एक रूप है, जिसे इन्सोम्निया भी कहते हैं। अगर आप भी रात को चिंता में डूबे रहते हैं, तो ये आपकी नींद को और खराब कर सकता है।

कैफीन और गलत खानपान

क्या आप दिन में कॉफी, चाय, या एनर्जी ड्रिंक पीते हैं? अगर हाँ, तो ये भी sleep disorder का कारण बन सकता है। कैफीन दिमाग को एक्टिव रखता है और नींद को दूर भगा देता है। अगर आप दोपहर या शाम को कॉफी पीते हैं, तो इसका असर रात तक रह सकता है। इसके अलावा, रात को देर से खाना, जैसे पिज़्ज़ा, बर्गर, या हेवी स्नैक्स, पाचन तंत्र को सक्रिय रखता है, जिससे नींद आने में दिक्कत होती है।

उदाहरण के लिए, अगर आप रात को 11 बजे चिप्स खाते हुए नेटफ्लिक्स देख रहे हैं, तो ये आपकी नींद को और पीछे धकेल सकता है। स्टडीज़ के अनुसार, देर रात खाना खाने से पाचन प्रक्रिया धीमी हो सकती है, जिससे sleep disorder की संभावना बढ़ती है।

कैसे सुधारें अपनी नींद?

अब सवाल ये है कि इस रात को जागने और सुबह आलस करने की आदत को कैसे बदला जाए? यहाँ कुछ आसान और प्रभावी उपाय हैं:

  1. रेगुलर स्लीप शेड्यूल बनाएँ: रोज़ाना एक ही समय पर सोएँ और उठें। हाँ, ये थोड़ा मुश्किल लग सकता है, लेकिन धीरे-धीरे आदत पड़ जाएगी।
  2. स्क्रीन टाइम कम करें: सोने से 1-2 घंटे पहले फोन और लैपटॉप से दूरी बनाएँ। अगर फोन देखना ज़रूरी है, तो ब्लू लाइट फ़िल्टर ऑन करें।
  3. रिलैक्सिंग रूटीन अपनाएँ: सोने से पहले किताब पढ़ें, हल्का म्यूज़िक सुनें, या मेडिटेशन करें। ये आपके दिमाग को शांत करेगा।
  4. कैफीन और जंक फूड से बचें: शाम के बाद कॉफी, चाय, या एनर्जी ड्रिंक न पिएँ। रात को हल्का खाना खाएँ।
  5. तनाव कम करें: योग, डीप ब्रीदिंग, या जर्नलिंग जैसी तकनीकों से तनाव को कम करें।

अगर इन सबके बावजूद आपकी नींद नहीं सुधरती, तो किसी sleep disorder विशेषज्ञ से सलाह लें। नींद की कमी न केवल आपकी सेहत को प्रभावित करती है, बल्कि आपकी प्रोडक्टिविटी, मूड, और मेंटल हेल्थ पर भी असर डालती है।

थोड़ा अपने बारे में सोचें

हर इंसान का शरीर और लाइफस्टाइल अलग होता है। अगर आपको लगता है कि आपकी नींद की समस्या बहुत ज़्यादा है, तो अपने रूटीन को चेक करें। क्या आप बहुत ज़्यादा स्क्रीन टाइम ले रहे हैं? क्या आप रात को देर से खाना खा रहे हैं? या फिर तनाव की वजह से नींद नहीं आ रही? इन सवालों के जवाब ढूंढने से आपको अपनी समस्या का हल मिल सकता है। अगर ये सारी चीज़ें ट्राई करने के बाद भी sleep disorder की दिक्कत बनी रहती है, तो किसी डॉक्टर या स्लीप एक्सपर्ट से बात करना ठीक रहेगा।

आज की पीढ़ी की खास बात

आज की जनरेशन में रात को जागने की आदत कोई नई बात नहीं है। टेक्नोलॉजी, लाइफस्टाइल, और हमारे शरीर की बनावट—ये सब मिलकर हमें रात का प्राणी बना देते हैं। लेकिन थोड़ी सी कोशिश और समझदारी से हम अपने रूटीन को बैलेंस कर सकते हैं। रात को 11 बजे की एनर्जी को सुबह 7 बजे लाने के लिए बस थोड़ा धैर्य और सही आदतें चाहिए। तो, अगली बार जब आप रात को स्क्रॉल करते-करते 12 बज जाएँ, तो अपने फोन को साइड में रखें, एक गहरी सांस लें, और अपने शरीर को थोड़ा आराम दें। सुबह की ताज़गी आपको थैंक्यू बोलेगी!

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